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भारतीय राजव्यवस्था में वरीयता अनुक्रम
1. राष्ट्रपति
2. उपराष्ट्रपति
3. प्रधानमंत्री
4. राज्यपाल (संबंधित राज्य के अंदर )
5. भूतपूर्व राष्ट्रपति
5A. उप प्रधानमंत्री
6. भारत की मुख्य न्यायाधीश, लोक सभा का अध्यक्ष
7. संघीय कैबिनेट मंत्री मुख्यमंत्री (संबंधित राज्य के अंदर), योजना आयोग का उपाध्यक्ष, भूतपूर्व प्रधानमंत्री विपक्ष का नेता ( राज्यसभा और लोकसभा)
7A. भारत रत्न से सम्मानित व्यक्ति
8. राष्ट्रसंघ के देश के उच्चायुक्त (जो भारत ने प्रमाणित
किया हुआ हो) मुख्यमंत्री (संबंधित राज्य के बाहर ) राज्यपाल (संबंधित राज्य के बाहर)
9. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश
9A. भारत का मुख्य निर्वाचन आयुक्त, भारत का
नियंत्रक – महालेखा परीक्षक
10. राज्य सभा का उपसभापति, उप मुख्यमंत्री, लोकसभा का उपाध्यक्ष योजना आयोग का सदस्य, संघ के
राज्यमंत्री और रक्षा मंत्रालय के संबंधित अन्य मंत्री ।
11. भारत का महान्यायावादी, कैबिनेट सचिव उपराज्यपाल (संबंधित संघ राज्य क्षेत्र के अंदर )
12. सेना अध्यक्ष या समतुल्य रैंक
13. पूर्ण शक्तियुक्त महादूत (जो भारत ने प्रमाणित किया हो)
14. राज्य विधान मंडल के सभापति और अध्यक्ष (संबंधित
राज्य के अंदर)
15. राज्य के कैबिनेट मंत्री (संबंधित राज्य के भीतर) संघ राज्य क्षेत्र के मुख्यमंत्री (संबंधित संघ राज्य क्षेत्र के अंदर )
संघ के उपमंत्री
16. लेफ्टिनेंट जनरल
17. अध्यक्ष (केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण)
अध्यक्ष (अल्पसंख्यक आयोग)
अध्यक्ष (अनुसूचित जाति/जनजाति आयोग)
अध्यक्ष (संघ लोक सेवा आयोग )
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश (संबंधित राज्य के बाहर)
18. राज्य के कैबिनेट मंत्री (संबंधित राज्य के बाहर)
19. मुख्य उपायुक्त
20. उप सभापति एवं अध्यक्ष राज्य विधानमंडल
21. संसद सदस्य
22. अपने राज्यों से बाहर राज्यों के उपमंत्री
23. सेनाध्यक्ष एवं समान पदाधिकारी, भारत सरकार; राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोक सभा, राज्य सभा का सचिव; सोलिसिटर जनरल
24. लेफ्टिनेंट जनरल और सामान पद के अधिकारी
25. भारत सरकार के अतिरिक्त सचिव, निदेशक सी.बी. आई., आई. बी., बी. एस. एफ. सी.आर.पी.एफ।
26. भारत सरकार के संयुक्त सचिव एवं समान पद के अधिकारी
राष्ट्रपति और उनके कार्यकाल
श्रीमती द्रौपदी मुर्मु
2022 to present
श्री राम नाथ कोविन्द (जन्म - 1945)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 2017 से 25 जुलाई, 2022
श्री प्रणब मुखर्जी (जन्म - 1935)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 2012 से 25 जुलाई, 2017
श्रीमती प्रतिभा देवीसिंह पाटील (जन्म - 1934)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 2007 से 25 जुलाई, 2012
डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम (1931 - 2015)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 2002 से 25 जुलाई, 2007
श्री के.आर. नारायणन (1920 - 2005)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 1997 से 25 जुलाई, 2002
डॉ. शंकर दयाल शर्मा (1918 - 1999)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 1992 से 25 जुलाई, 1997
श्री आर. वेंकटरमण (1910 - 2009)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 1987 से 25 जुलाई, 1992
ज्ञानी जैल सिंह (1916 - 1994)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 1982 से 25 जुलाई, 1987
श्री नीलम संजीव रेड्डी (1913 - 1996)
कार्यकाल: 25 जुलाई, 1977 से 25 जुलाई, 1982
डॉ. फखरुद्दीन अली अहमद (1905 - 1977)
कार्यकाल: 24 अगस्त, 1974 से 11 फरवरी, 1977
श्री वराहगिरि वैंकट गिरि (1894 - 1980)
कार्यकाल: 3 मई, 1969 से 20 जुलाई, 1969 तथा 24 अगस्त, 1969 से 24 अगस्त, 1974
डॉ. ज़ाकिर हुसैन (1897 - 1969)
कार्यकाल: 13 मई, 1967 से 3 मई, 1969
डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (1888 - 1975)
कार्यकाल: 13 मई, 1962 से 13 मई, 1967
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद (1884 - 1963)
कार्यकाल: 26 जनवरी, 1950 से 13 मई, 1962
Art 52 :- भारत का एक राष्ट्रपति होगा (There shall be a president of India.)
Art 53 :- राष्ट्रपति संघ की कार्यपालिका शक्ति का प्रमुख होगा
अपनी इस शक्ति का प्रयोग स्वयं या अपने अधीनस्थों के सहयोग से करेगा |
Art 54 :- राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मंडल के द्वारा किया जायेगा |
निर्वाचक मंडल Electoral college = संसद के सभी निर्वाचित सदस्य + सभी विधानसभाओं के निर्वाचित विधायक
NOTE-
राष्ट्रपति के चुनाव में सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही भाग ले सकते है
मनोनीत सदस्य महाभियोग में भाग लेते है निर्वाचन में नहीं
राज्य विधानपरिषद के सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन और उसके महाभियोग दोनों में ही भाग नहीं लेते है
दिल्ली और पुदुचेरी के निर्वाचित विधायक राष्ट्रपति के चुनाव में भाग लेते है
Art 55 :- इसमें राष्ट्रपति के निर्वाचन की पद्धति का उल्लेख है | राष्ट्रपति का चुनाव अनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमण विधि से किया जायेगा ( proportional representation by means of single transferrable votes.)
Art 56 :- राष्ट्रपति अपने पद ग्रहण से 5 वर्ष की अवधि तक अपने पद पर रहता है
राष्ट्रपति स्वेच्छा से कभी भी पद त्याग कर सकता है | वह अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है (उपराष्ट्रपति अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देता है )
राष्ट्रपति को उसके कार्यवधिपूर्ण होने से पूर्व महाभियोग (impeachment) के द्वारा हटाया जा सकता है
राष्ट्रपति पद अवधि समाप्त होने पर नए राष्ट्रपति के पद सँभालने तक अपने पद पर रहता है
नए राष्ट्रपति के चुनाव कार्यअवधि समाप्त होने के पूर्व ही करालिए जाते है आकस्मिक रिक्ति की दशा में 6 माह के अंदर चुनाव कराना आवश्यक है |
Art 57 :- भारत में कोई भी व्यक्ति कितनी ही वार राष्ट्रपति बन सकता है
U.S.A.में सिर्फ दो वार राष्ट्रपति बन सकते है और राष्ट्रपति का कार्यकाल 4 वर्ष होता है |
Art 58 :- राष्ट्रपति बनने की योग्यता
A. Indian citizenship
B. Minimum age of 35 years.
C. लोकसभा का सदस्य बन सके वह योग्यता होना चाहिए
NOTE –
राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए आवश्यक है कि वह लाभ के पद पर न हो |
लेकिन राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति,राज्यपाल या मंत्री अपने पद पर रहते हुए राष्ट्रपति का चुनाव लड़ सकते है
Art 59 :- इसमें राष्ट्रपति के पद सम्बन्धी शर्तों का वर्णन है -
अगर कोई सांसद या विधायक राष्ट्रपति निर्वाचित हो जाता है तो यह मान लिया जाता है कि वह सदस्य अब राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा और उसने सम्बन्धित पद को त्याग दिया है |
राष्ट्रपति अन्य कोई लाभ का पद धारण नहीं करेगा |
उसके वेतन भत्तों में कार्यकाल के दौरान कमी नहीं की जाएगी |
Art 60 :- राष्ट्रपति को अपना पद ग्रहण करने से पूर्व शपथ लेनी होती है | राष्ट्रपति को शपथ भरता का मुख्य न्यायधीश दिलाता है उसकी अनुपस्थिति में सुप्रीम कोर्ट का उपलब्द्ध वरिष्ठतम न्यायधीश शपथ दिलाता है
Art 61 :- इसमें महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन है
महाभियोग सिर्फ संबिधान के अतिक्रमण की स्थिति में ही लाया जा सकता है |
सबसे पहले राष्ट्रपति को कम से कम 25% सदस्यों के हस्ताक्षर सहित नोटिस देना होता है यह नोटिस कम से कम 14 दिन पूर्व दिया जाना आवश्यक है |
उसके बाद महाभियोग का प्रस्ताव दोनों सदनों से अलग – अलग कुल सदस्य संख्या के 2/3 बहुमत से पारित होना चाहिए |
राष्ट्रपति को दूसरे सदन में अपना पक्ष रखने का अवसर मिलता है जिसमे स्वयं या अपने किसी प्रतिनिधि को भेज सकता है |
NOTE- अभी तक भारत के किसी भी राष्ट्रपति को महाभियोग द्वारा नहीं हटाया गया है |
राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने के लिए 50 प्रस्तावक और 50 अनुमोदक की आवश्यकता होती है
15 हजार रूपये धरोहर राशि के रूप में जमा कराने होते है |
निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) एक स्वायत्त और अर्ध-न्यायिक संस्थान है जिसका गठन भारत में स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से निर्वाचन करवाने के लिए किया गया है।
निर्वाचन आयोग की आधिकारिक वेबसाइट https://hindi.eci.gov.in/ है, जहां आपको मतदाता पंजीकरण, मतदान, परिणाम, ईवीएम, शिकायत, प्ररूप, सी-विजिल, मतदाता शिक्षा चैनल आदि के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिलेगी
निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति की प्रक्रिया इस प्रकार है:
भारतीय निर्वाचन आयोग में एक मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्त होते हैं।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले पूरा हो, होता है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त को महाभियोग प्रस्ताव पारित करने पर राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जा सकता है।
निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है, मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सलाह पर।
निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले पूरा हो, होता है।
निर्वाचन आयुक्त को मुख्य निर्वाचन आयुक्त की सलाह पर राष्ट्रपति पद से हटा सकता है।
राज्य में राज्य निर्वाचन आयुक्त (State Election Commissioner) की नियुक्ति राज्यपाल (Governor) करता है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु, जो पहले पूरा हो, होता है। यह समान है मुख्य निर्वाचन आयुक्त के कार्यकाल से। राज्य निर्वाचन आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल (Governor) करता है।
राज्य निर्वाचन आयुक्त के कार्य निम्नलिखित हैं:
अपने राज्य में होने वाले विधानसभा, विधान परिषद और स्थानीय क्षेत्रों के चुनावों को संपन्न कराना।
चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन करना।
मतदाता सूची को अद्यतन रखना।
चुनाव आचार संहिता का पालन करवाना।
चुनावी मतपत्र, ईवीएम, वीवीपैट और अन्य सामग्री की आपूर्ति करना।
मतदान और मतगणना के प्रक्रिया को सुरक्षित और सुचारु रूप से संचालित करना।
मतों की संख्या और प्रतिशत की घोषणा करना।
मतों के परिणाम की प्रमाणिकता प्रमाणित करना।
निर्वाचन आयोग से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद निम्नलिखित हैं:
अनुच्छेद 324: इस अनुच्छेद के तहत निर्वाचन आयोग का गठन किया गया है, जो संसद, राज्य विधानमंडलों, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के पदों के लिए निर्वाचनों का अधीक्षण, निदेशन और नियंत्रण करता है।
अनुच्छेद 325: इस अनुच्छेद के तहत समान मताधिकार का प्रावधान है, जिसके अनुसार किसी मतदाता को किसी प्रकार के भेदभाव से मताधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता है।
अनुच्छेद 326: इस अनुच्छेद के तहत संसदीय प्रतिनिधित्व के मताधिकार की प्रक्रिया को परिभाषित किया गया है
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